इन्सान की कुछ और कर दिखाने की चाहत ने ही विज्ञान को जन्म दिया जिसके फलस्परूप इंसान की जिंदगी ही बदल गई। सभी देशो में तकनीक के मामले में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी लगी हुई है। हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार ऐसा लग रहा है जैसे चीन ने तकनीक के मामले में अमेरिका, ब्रिटेन और जापान जैसे विकसित देशों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। चीन की सरकारी मीडिया की माने तो उन्होंने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि चीन ने सफलतापूर्वक कृत्रिम सूरज का निर्माण कर लिया है। चीन के वैज्ञानिकों के अनुसार ये ऐसा परमाणु फ्यूजन है, जो असली सूरज से भी दस गुना ज्यादा ऊर्जा देगा। कृत्रिम सूरज का प्रकाश भी असली सूरज की तरह तेज होगा।
चीन वर्ष 2006 से की कृत्रिम सूरज बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा था। इस प्रोजेक्ट की सफलता ने दुरी दुनिया में चीन का लोहा मनवा दिया है। चीन ने कृत्रिम सूरज को HL-2M नाम दिया है इस प्रोजेक्ट पर चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने दिन रात मेहनत करके एक सपने जैसे काम को हकीकत में बदल दिया।
चीनी मीडिया के अनुसार कृत्रिम सूरज की कार्यप्रणाली में एक बहुत ही शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है जिस कारण यह 150 मिलियन यानी 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान हासिल कर सकता है जबकि असली सूरज का तापमान करीब 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है।
चीन के वैज्ञानिकों के अनुसार इसका उद्देश्य प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाये रखना होगा। यह प्रचंड गर्मी और बिजली पैदा कर सकता है और न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी के जरिये चीन की सामरिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ ही चीन के एनर्जी और इकॉनमी के सतत विकास में सहायक सिद्ध होगा। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 22.5 बिलियन डॉलर है। दुनिया के कई देश सूरज बनाने की कोशिश कर रहे है लेकिन चीन ने सबसे पहले इसे पूरा करके तकनीक कि दुनिया में अपना दबदबा बना लिया है।
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