हरियाणा : सरकारी स्कूलों में अब बिना SLC के नहीं मिलेगा एडमिशन
गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत हरियाणा के सरकारी स्कूलों में अब SLC के बिना किसी भी बच्चे को एडमिशन नहीं मिलेगा। मार्च में ही पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों की याचिका पर एसएलसी के बिना दाखिला नहीं देने के निर्देश दिए हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सरकारी स्कूलों मे दाखिले दिए जा रहे थे। शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों को दिए लिखित निर्देशी मे स्पष्ट किया है कि अगर किसी भी बच्चे का बगैर एसएलसी के दाखिला किया तो इसे हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना समझा जाएगा । इसलिए आदेशों का सख्ती से पालन करें। निजी स्कूल संचालकों का आरोप है कि एसएलसी के बगैर सरकारी स्कूलों में दाखिले दिए जाने से उनकी करोड़ों रुपये की फीस डूब गई है।
गौरतलब है कि कोरोना के चलते स्कूलों में आफलाइन पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होने के चलते बड़ी संख्या में विद्याथिर्यों ने निजी स्कूल छाेड़कर सरकारी स्कूलों का रुख किया है। इस साल अभी तक 25 लाख से अधिक छात्र सरकारी स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं, जबकि निजी स्कूलाें में 23 लाख सात हजार विद्यार्थी हैं। कई वर्षों बाद ऐसा हुआ है कि जब निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में अधिक छात्रों ने दाखिला लिया है।
उधर, हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा नहीं होने का हवाला देते हुए छात्रों से लिया परीक्षा शुल्क वापस देने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने निजी स्कूलों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि इसे तत्काल बंद किया जाए।
कुंडू ने कहा कि स्वीकृत पदों से ज्यादा कर्मचारियों को भर्ती करने से बोर्ड को हर वर्ष करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई निजी स्कूलों के बच्चों की परीक्षा फीस को बढ़ाकर की जा रही है। सरकारी स्कूलों में अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के बच्चों का परीक्षा शुल्क भी नहीं लिया जाता। इसका भार भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों पर डाला जाता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का प्रश्नपत्र छपवाने में जो खर्च हुआ है, उसको काटकर बाकी एग्जाम फीस बच्चों को वापस की जाए।
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